रील बनाने की सनक ने छीनी 5 जिंदगियां, 9 लड़के फल्गु नदी में डूबे – गांव में मातम
Rakesh Kumar
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खिजरसराय (गया) : सोशल मीडिया पर रील बनाने की दीवानगी ने गया जिले में पांच घरों के चिराग बुझा दिए। खिजरसराय थाना क्षेत्र के केनी पुल के पास 9 स्कूली छात्र रील बनाने के दौरान फल्गु नदी में कूद पड़े। गहरे पानी में जाने से सभी डूबने लगे और देखते ही देखते चीख-पुकार मच गई। आसपास के लोग भागे-भागे पहुंचे और मशक्कत के बाद सभी को बाहर निकाला।


बेलागंज पीएचसी में भर्ती – पांच की मौत

डूबते बच्चों को आनन-फानन में बेलागंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। यहां से दो की गंभीर हालत देखते हुए उन्हें अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, गया रेफर कर दिया गया, जबकि सात को बेलागंज में ही भर्ती कराया गया। लेकिन इलाज के दौरान पांच लड़कों ने दम तोड़ दिया। दो लड़के जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।


11वीं-12वीं के छात्र, रील बनाते हुए डूबे

जानकारी के मुताबिक, सभी लड़के स्कूल से लौटते समय वीडियो बनाने के लिए फल्गु नदी किनारे गए थे। इसी दौरान हादसा हुआ। मृत और घायल छात्रों में ज्यादातर 11वीं-12वीं के छात्र बताए जा रहे हैं।


पहचान में आए छह लड़के 


मृतकों में मो. कैफ़ वल्द मो. मकसूद, मो. शाहनवाज वल्द मो. शाहिद, मोहम्मद शारिक वल्द मो. मुमताज़, मो. अनस वल्द मो. मिस्टर और मो. सूफियान वल्द मो. शमशेर जैसे छात्र शामिल हैं, जो 11वीं और 12वीं में पढ़ते थे। परिवारवालों का कहना है कि ये बच्चे परीक्षा देकर लौटे थे और थोड़ी मस्ती करने निकले थे। किसे पता था कि यह मस्ती मातम में बदल जाएगी।



गांव में मातम, परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल

जैसे ही घटना की खबर गांव तक पहुंची, चीख-पुकार मच गई। परिजन बदहवास हालत में अस्पताल पहुंचे। कई परिवारों में चिराग बुझने से पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया।


रील की सनक बनी मौत का सबब


स्थानीय लोगों का कहना है कि सोशल मीडिया पर रील बनाने का जुनून बच्चों को खतरनाक जगहों तक खींच रहा है। केनी घाट पर भी यही दीवानगी हादसे की वजह बन गई।


हादसा कैसे हुआ, क्या सभी आपस में रिश्तेदार थे और बाकी छात्रों की पहचान – यह सब जांच और इलाजरत बच्चों के बयान के बाद साफ होगा।



उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस हादसे पर शोक जताया और मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये मुआवज़े की घोषणा की है। लेकिन सवाल यही है कि क्या ज़िंदगी की कीमत सिर्फ मुआवज़ा है? अगर पहले सुरक्षा इंतज़ाम होते, तो शायद ये पांच युवा आज ज़िंदा होते।


फल्गु नदी अब मौत की नदी बन चुकी है। रीलों की चमक, बालू माफिया की गहराई और प्रशासन की खामोशी मिलकर मासूम ज़िंदगियों को लील रही है।

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