गयाजी: इस वर्ष 26 मई 2025 को एक अत्यंत शुभ और दुर्लभ संयोग बन रहा है जब सोमवती अमावस्या और बट सावित्री व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं। यह दिन सुहागन स्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन दो पवित्र व्रतों का संयुक्त पुण्यफल प्राप्त होगा।
बट सावित्री व्रत विशेष रूप से सुहागन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस व्रत के दौरान महिलाएँ बरगद (बट) के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं, व्रत कथा सुनती हैं, और बरगद के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करती हैं। इसके पश्चात वे घर जाकर पति के चरणों का स्पर्श कर आशीर्वाद लेती हैं, उन्हें तिलक करती हैं और सेवा करती हैं।
मुहूर्त की दृष्टि से यह दिन और भी खास है क्योंकि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि इस दिन 10:54 बजे पूर्वाह्न के बाद आरंभ हो रही है। साथ ही, यह सोमवार होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या का पुण्यफल भी प्राप्त होगा।
सोमवती अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीप जलाकर पूजा की जाती है और धोबिन को सुहाग की सामग्री दान दी जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आपके आस-पास कोई ऐसा स्थान है जहाँ बरगद और पीपल का वृक्ष एक साथ, जुड़कर उगे हों, तो वहाँ पूजा करना अत्यधिक शुभ और फलदायक माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए व्रत, दान और पूजा से पति की दीर्घायु, कुटुंब की सुख-शांति और पितृ दोष निवारण जैसे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
सुबह से ही व्रत रखने वाली महिलाओं की भीड़ बरगद और पीपल के पेड़ों के नीचे पूजा करते हुए देखी जाएगी। श्रद्धालु महिलाएँ पारंपरिक वस्त्रों में सजकर, पूजा की थाली सजाए हुए, आस्था और श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन करेंगी।
(रिपोर्ट: राकेश कुमार / गया )